Thursday, April 9, 2020

लगातार 21 दिन एक्सरसाइज़ करने और नाखून न चबाने से मिले ये सबक

एक्सरसाइज़ की आदत डालने के लिए अपने हिसाब से इसका चयन बहुत जरूरी है...
21 दिन पूरे हो गए. जो संकल्प लिया था. वह पूरा कर दिखाया. रोज़ एक्सरसाइज की. और नाखून नहीं खाया. अगर इसे मैं सही से रोज दर्ज कर पाता तो शायद आप ज्यादा बेहतर समझते कि कैसे किसी बुरी आदत का निषेध कर अच्छी आदत डाली जाती है और कैसे किसी अच्छी आदत को नए सिरे से डेवलप किया जाता है. चूंकि रोज़ की बात दर्ज नहीं है इसलिए मैं एक ही बार में आपको पूरी प्रक्रिया बताने की कोशिश करता हूं.


एक्सरसाइज की अच्छी आदत कैसे डाली?

पहले बात करते हैं रोज एक्सरसाइज़ की. निस्संदेह मैंने बहुत टाइमटेकिंग प्रक्रिया वाली और बहुत ज्यादा शारीरिक थकान देने वाली एक्सरसाइज उठाई होतीं तो लगातार इतने दिन तक कर पाना नामुमकिन होता. इसलिए मैंने 20-25 मिनट में हो जाने वाली हाथों-पैरों की एक्सरसाइज़ की. इसे आप यूट्यूब पर '1 माइल हैप्पी वॉक' (One Mile Happy Walk) के नाम से सर्च कर पा जाएंगे. यह बहुत मजेदार है और किसी भी समय आसानी से की जा सकती है. इसलिए कई दिन तो मैंने इसे नाश्ते या खाने के बाद भी किया. इतना समय मैं वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) के बीच भी निकाल लेता था. इसलिए यह मेरे लिए बहुत कठिन नहीं रही. हालांकि आज से मैं एक्सरसाइज का समय कुछ बढ़ा रहा हूं. साथ ही थोड़े कठिन मूव्स भी आज से ऐड कर रहा हूं.

एक्सरसाइज़ की 21 दिन की स्ट्रीक बनाने या कह लें आदत डालने में मेरे काम ये तीन चीजें आईं-

पहली, खुद को कन्विंस करने वाली आदत का चुनाव (माने कोई ऐसी आदत चुनें जिससे किसी भी तरह का पर्सनल फायदा होने का विश्वास हो), दूसरी, आदत को अपनी दिनचर्या में घुसा पाने की सहजता (माने आप अपने टास्क को कभी भी कर सकें) और तीसरी, इंस्टेंट दिखने वाली प्रगति (माने ऐसा टास्क चुनें, जिसका फायदा आपको जल्द से जल्द दिखे. मसलन मुझे 9 से साढ़े 9 घंटे रोज वर्क फ्रॉम होम करना होता है. इस एक्सरसाइज़ के रुटीन से मेरा पीठदर्द बहुत कम हो गया है, यही इंस्टेंट फायदा है).
20 दिन लगातार नाखून न चबाने के बाद मेरे नाखून

नाखून चबाने की बुरी आदत कैसे छोड़ी?

अब बात करते हैं नाखून खाने की आदत छोड़ने की. यह आदत छोड़ने के लिए शुरुआत से ही मेरे पास जबरदस्त वजहें थीं. लेकिन मेरे पास सिर्फ वजहें थीं, कभी इतना समय नहीं रहा कि बैठकर-विचारकर इसे रणनीतिक तरह से छोड़ा जा सके. बहुत ही साधारण सी रणनीति अभी भी मैंने इसके लिए फॉलो की. मैंने सिर्फ अपने नाखूनों को बढ़ने के लिए छोड़ दिया. 21 दिन तक उन्हें बढ़ने दिया. शुरुआत में इन्हें दांतों से काटने से बचने के लिए प्रयास करना पड़ा. कई बार मुंह में जाते-जाते रोका. एक-आध बार दांत से नाखून दबा भी दिया पर याद आ गया काटना नहीं है. लेकिन जब नखून थोड़े बड़े हो गए तब हमेशा याद रहने लगा और पिछले एक सप्ताह में तो मेरे लिए नाखून चबाना बिल्कुल अजीब बात हो चुकी थी. फिर भी आगे भी इससे कुछ दिन तक बचने का फैसला मैंने किया है ताकि इसे पूरी तरह पुख्ता किया जा सके.

बहरहाल 21 दिन नाखून न चबाने में काम आई ये चीजें-

इच्छाशक्ति (कभी भी किसी बुरी आदत को छोड़ने के लिए यही आपका पहला कदम होगा, इससे अच्छा हो सकता है कि आप बुरी आदत छोड़ने को अच्छी आदत डालने की तरह ही लें और खुद को ये तर्क दें कि इससे आपको क्या पर्सनल फायदा होगा. अगर आपने खुद को इसके फायदों के लिए कन्विंस कर लिया तो इसके खिलाफ इच्छाशक्ति डेवलप करने में बहुत मदद मिलेगी), दूसरी रणनीति, जैसे मैंने नाखून 21 दिन तक बढ़ने दिए ताकि बढ़े नाखून देख याद रहे कि इन्हें नहीं चबाना है. मैं इन्हें पेंट भी कर सकता था लाल रंग से और तीसरी चीज इंस्टेंट प्रगति, यह दूसरे प्वाइंट से ही जुड़ा है. आखिर मैंने अपने इतने बड़े नाखून पिछले 15-16 साल में शायद ही देखे थे. ऐसे में यह सीधी तरक्की जैसा था, जिससे इच्छाशक्ति भी बढ़ी और मेरी रणनीति और आत्मविश्वास को भी मजबूती मिली. 

इन दोनों ही चीजों का मुझे उत्साह जरूर है. तभी कल से कई लोगों को यह बात बता चुका हूं. लेकिन आपसे लगातार साझा नहीं कर पाया. ऐसे में तय किया है कि अगली निरंतरता की आदत के तौर पर लिखने को ही रखा जाएगा. जिससे उस प्रक्रिया को दर्ज किया जा सके जो किसी काम में निरंतरता के लिए निर्णायक होती है. फिलहाल चैलेंज यह है कि कैसे लेखन की प्रक्रिया को जीवन-शैली में ढालने जितना सहज बनाया जाए. दिन के 24 घंटों में वो समय क्या हो, जब लिखने के सिवाए कुछ सूझे ही न.


अगले 21 दिनों का लक्ष्य है- लिखना

ऐसे में तमाम बिंदुओं का आकलन कर कहा यही जा सकता है कि वह ऐसे ही सवेरे का समय हो क्योंकि पिछली बार लेखन को इसीलिए रात में करने से बचा गया था क्योंकि पाया गया कि रात में दिमाग अपनी पूरी क्षमता से साथ नहीं दे रहा. बाकी यह पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया होने जा रही है. क्योंकि यह मामला अगर जमा तो अगले 21 दिन यानी 30 अप्रैल तक मेरे 21 ब्लॉग आपके सामने होंगे. अब जो भी होगा आपकी नज़रों के सामने होगा.

वैसे पिछले कुछ दिनों में किताबों को पढ़े जाने में बेहतरीन निरंतरता आई है लेकिन मेरे लिए यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है क्योंकि मैं पिछले लंबे समय से निरंतर किताबें पढ़ता आ रहा हूं. इसलिए उनके प्रति किसी चैलेंज और स्ट्रीक का कोई मसला नहीं है.

(नोट: आप मेरे लगातार लिखने वाले दिनों को ब्लॉग के होमपेज पर [सिर्फ डेस्कटॉप और टैब वर्जन में ] दाहिनी ओर सबसे ऊपर देख सकते हैं.)

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