इन पांच तरीकों को अपनाएंगे तो एक दिन में ही निपटा सकते हैं हफ्ते भर के काम (फोटो क्रेडिट- NYT) |
मैं रोज़ अमूमन एक किताब के बीस पेज पढ़ता हूं. एक समय में मैं तीन किताबें औसतन पढ़ रहा होता हूं. यानि अख़बार से इतर 60 पन्ने मैं रोज पढ़ता हूं. लेकिन हमेशा ऐसा चलता रहे मुझे पसंद नहीं. जैसे लोगों को नहीं पसंद होता कि वे रोज़ घर पर एकसार खाना खाएं. वे रेस्टोरेंट जाना चाहते हैं. कुछ तला-भुना घर पर ही खाना चाहते हैं. वैसे ही 'फॉर अ चेंज' मैं अपने इस प्रॉसेस को एक्सिलरेट कर देता हूं.
हर किताब 20 पेज रोज़ पढ़कर उसका आनंद नहीं लिया जा सकता और न ही इस तरह उसकी तासीर का लुत्फ लिया जा सकता है. फिक्शन के मामले में यह बात ज्यादा लागू होती है. इसलिए कई बार एक दिन निकालकर पूरी किताब खत्म कर देता हूं. मसलन कल की बात करूं तो करीब आधी 'ब्रेव न्यू वर्ल्ड- ऐल्डस हक्सले' मैंने कल ही खत्म कर दी. इसके अलावा 'मेडागास्कर' नाम की एक एनिमेशन फिल्म भी देखी. दो चैप्टर 'प्राइड एंड प्रिज्यूडिस- जेन ऑस्टिन' के पढ़े. डुओलिंगो पर करीब 100 प्रैक्टिस प्वाइंट्स जुटाए. एक घंटे का पॉडकास्ट बीबीसी ग्लोबल का और एक घंटे का पॉडकास्ट डीडब्ल्यू इनसाइड यूरोप का सुना. एक्सरसाइज की. अगले 18 दिनों का शिड्यूल तय किया. 1 घंटे लिखा. इंटरनेट बैंकिंग से जुड़े महीने भर के काम निपटाए. अपने सारे कपड़े धो दिए-बर्तन भी धोए. नाखून काटे-शेव किया, जो 21 दिनों से ड्यू था.
ऐल्डस हक्सले की किताब ब्रेव न्यू वर्ल्ड के कुछ कवर.. |
रात के 12 बजने तक मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैंने 1 दिन नहीं एक हफ्ता गुजार लिया हो. हालांकि तथ्यात्मकता से कहूं तो इतना काम मैं 3-4 दिनों में करता हूं, एक हफ्ता थोड़ा ज्यादा कह रहा. बहरहाल बात करते हैं, उन चीजों की, जिनके चलते आप ऐसा कर पाते हैं-
1. विज़नरी रहिए-पैशनेट रहिए. यानी सोचकर रखिए कि कौन सी किताब, कौन सी टीवी सीरीज एक साथ खत्म की जानी चाहिए तभी पूरा आनंद आएगा. उसे बचाकर रखिए. और जब मौका मिले तो उसे पूरी तवज्जो दीजिए. उतनी देर मोबाइल आदि का त्याग करके.
2. हालांकि मैंने एक दिन में किए जा सकने वाले कामों के मुकाबले ज्यादा काम किए लेकिन दिन का केवल कुछ हिस्सा ही प्लान्ड था. यकीनन अगर आप पूरे हफ्ते में जरूरी कामों को जुटाकर रखेंगे और वीकेंड पर सारे एक साथ खत्म कर देंगे तो आपको मुझे होने वाली खुशी और संतुष्टि से दोगुनी खुशी-संतुष्टि होगी.
3. रिलैक्सेशन प्लान भी काम का रखिए. मसलन मैं किताब पढ़-पढ़ कर थक गया था. करीब 150 से ज्यादा पन्ने अंग्रेजी में पढ़ने के बाद आंखें और दिमाग दोनों में ही थकान थी. तो इस थकान को मिटाने के लिए मैंने फिल्म देखी- मेडागास्कर. एक हल्की-फुल्की कार्टून फिल्म. लेकिन अच्छा लगा क्योंकि फिल्म क्रिटिकली एक्लेम्ड थी.
4. ऐसे किसी दिन पर मानसिक श्रम वाले काम पहले कीजिए. मैंने कल सबसे पहले लिखा, किताबें पढ़ी, लैंग्वेज प्रैक्टिस की, फिल्म देखी, पॉडकास्ट सुना फिर शारीरिक श्रम वाले काम- कपड़े-बर्तन धोए. शारीरिक श्रम वाले काम के दौरान आप अपना पसंदीदा म्यूजिक इंज्वाय कर सकते हैं, जिससे मानसिक तौर पर थके होने का अहसास न हो.
5. ऐसे किसी दिन के लिए डाइट बहुत जरूरी होती है. यानि इस दिन डाइट ऐसी होनी चाहिए कि आपको खाकर तुरंत नींद न आए. मेरा जोर यह भी रहता है कि आप इस दिन जरूरत से थोड़ा कम खाएं. ताकि भूख लगी रहे जो आपको अपने लक्ष्य की याद दिलाती रहे. लेकिन कम खाते हुए यह जरूर याद रखें कि पोषण की कोई कमी न महसूस हो. ऐसा हुआ तो भी आप काम पूरा नहीं कर पाएंगे.
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