Friday, March 20, 2020

सिर्फ Motivation से नहीं पड़ेगी अच्छी आदत, इन 3 बातों का रखना होगा ध्यान

कोई आदत डालने के लिए आपको 3 बातें ध्यान रखनी होंगीं- पहली- मोटिवेशन (प्रेरणा), दूसरी- वायाबिलिटी (व्यवहार्यता) और तीसरी- पेशेंश (धैर्य)
कल हमने बात इस पर खत्म की थी कि अच्छी आदतें डालने के लिए सिर्फ जोश की जरूरत नहीं होती है. हालांकि अगर मैं कहूं कि आदत डालने के लिए प्लानिंग की जरूरत होती है तो आपको लगेगा, मोटिवेशनल स्पीकर जैसी बात कर रहा हूं. तो मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मैं यहां किसी काउंसलर या मोटिवेशनल स्पीकर जैसी बातें नहीं करना चाहता. मेरे पास सिर्फ एक स्ट्रैटजी है, जो मैंने अपने अनुभवों से पाई है, सिर्फ उसे आपके साथ शेयर करना चाहता हूं.

ऐसे में अगर आप मानते हैं कि कई बार आपने भी जोश में आकर कोई कदम उठाया है और मुश्किल से चार दिन भी पूरा न करके जल्द ही उसे छोड़ दिया है लेकिन चाहते हैं, आगे से ऐसा न हो तो-

इसके लिए आपको ये तीन बातें ध्यान रखनी होंगीं- पहली- मोटिवेशन (प्रेरणा), दूसरी- वायाबिलिटी (व्यवहार्यता) और तीसरी- पेशेंश (धैर्य).

मोटिवेशन या जोश का कोई काम पूरा करने में 10% से ज्यादा रोल नहीं होता

वैसे इनमें से आपके-मेरे पास कुछ भी नहीं होता है. आप चाहे जो भी हों, ये चीजें लेकर पैदा नहीं होते, इसी दुनिया में देखते-सुनते दिमाग में ये चीजें पैदा होती हैं (हालांकि कुछ रोल जेनेटिक्स का भी होता है). तो ये तीनों ही बातें स्टेट ऑफ माइंड जैसी हैं. ये तीनों ही आपको दिखेंगीं नहीं लेकिन इनकी प्रैक्टिस से आप अपने जीवन में जो बदलाव लाएंगे वह आपको दिखेगा. चाहे वह किसी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट पर बजाई गई कोई धुन हो, या आपके पेट में एब्स. सीधी बात अब अपने ऊपर लिखे तीनों औजारों पर आते हैं-

तो मोटिवेशन यानी प्रेरणा वही है जिसकी बात तमाम मोटिवेशनल स्पीकर करते हैं. "अपने जीवन को बदलने के लिए उठ बैठिए, जुट जाइए. आप ही खुद को बदल सकते हैं," जैसी चीजें. ये बातें आपके दिमाग में भी उठती रहती हैं, इसलिए आप मोटिवेशनल स्पीकर जैसे लोगों की बातों से रिलेट कर पाते हैं. लेकिन यकीन मानिए कि यह प्रेरणा और मोटिवेशन पानी में तैरते ग्लेशियर के ऊपरी हिस्से की तरह होते हैं. जो पानी से ऊपर सिर्फ जरा सा दिखते हैं और उनका 90% भाग नीचे पानी में तैरता रहता है. वैसे ही आपके जोश-ओ-जुनून का पानी के ऊपर तैरते आइसबर्ग जितना ही मतलब है. बाकी दो बातें ही वह 90% भाग बनाती हैं, जो तय करता है कि आप किसी काम को पूरा कर पाएंगे/ किसी हुनर को सीख पाएंगे या नहीं.

जोश में कोई फैसला करने से पहले उसकी व्यवहार्यता के बारे में जरूर सोचें

ऐसे में बिल्कुल जोश में जाइए और बेस्ट पॉसिबल प्लान लेकर जिम में पैसे देकर आइए, या बेहतरीन किताबों की लिस्ट चेक करके उसमें से अपनी पसंद के विषय की किताब खरीदिए, या किसी ऑनलाइन कोर्स में एडमिशन लीजिए, या कोई भाषा सीखनी शुरू कीजिए लेकिन उससे पहले अगले कदम पर विचार जरूर कर लीजिए.

भले ही इस अगले कदम के बारे में पहला कदम उठाने से पहले सोचने को मैंने कहा लेकिन इस दूसरे कदम को पहले कदम के बाद ही काम में लाना होता है. इसके बारे में सोच लेना ही दूरदर्शी होने की पहचान होता है. दूसरा कदम का नाम मैंने बताया है- वायाबिलिटी यानी व्यवहार्यता. जो आप कर रहे हैं, वह व्यवहार्य है या नहीं. जैसा मैंने कहा कि ये सारी ही चीजें पहले से कुछ भी नहीं होतीं, ये सिर्फ स्टेट ऑफ माइंड हैं. ऐसे में अगर कोई प्लान वायबल नहीं है तो आपको उसे आपको वायबल बनाना होगा.

क्रिएटिव तरीके से अपने रिजोल्यूशन को पूरा करने के लिए बनाएं रास्ते

अपनी पसंदीदा हरकत को अपनी नई बनाई जा रही आदत से जोड़ें

जैसे आपने सोच लिया कि आप किताब पढ़ेंगे या जिम करेंगे लेकिन 4 दिन से ज्यादा लगातार नहीं कर सके. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आपने अपने प्लान को वायबल नहीं बनाया. दरअसल आपको जिम करने को पकड़ना ही नहीं था. आपको पकड़ना था अपने शौक को. जाहिर है अगर आपका बॉडी बिल्डिंग और डाइट का शौक होता तो आपको जिम जाने के तरीके मुझे बताने ही नहीं पड़ते. तो आप देख लो आपको क्या शौक है?

क्या आपको कोई किताब पढ़ने का शौक है, कोई खास म्यूजिक सुनने का शौक है, कोई न्यूज बुलेटिन सुनने-देखने की आदत है (जैसे बहुत से लोग रवीश को रोज जरूर देखते हैं. वहीं बहुत से लोग अर्णब को जरूर देखते हैं) तो इसके आधार पर अपनी नई आदतों को वायबल बनाने की कोशिश करें. ये सोच लें कि इन कामों को मुझे घर पर पड़े हुए करने के बजाए जिम में करना है. बल्कि जिम को भी ऐसे समय रखें, जब आपके ऑफिस जाने या वहां से लौटने का समय हो उसके एक घंटे पहले या ऑफिस के तुरंत बाद. साथ ही घर से ऑफिस के रास्ते में जिम खोज सकें तो और अच्छा. अपने कान में पॉडकास्ट या म्यूज़िक लगाकर जिम में कुछ-कुछ करते रहें. यकीन मानिए धीरे-धीरे आपकी जानकारी वहां की चीजों को लेकर जैसे-जैसे बढ़ेगी, न सिर्फ आप अवेयर होंगे बल्कि आपको इंट्रेस्ट भी आने लगेगा.

अपने हिसाब से आदतों में व्यवहार्यता लाने की करें कोशिश

अब एक्स्ट्रीम तरीका बताता हूं. ऊपर दी चीजें करने पर भी अगर आपको लगता है कि अब भी आपसे जिम नहीं हो पा रहा है. तो सिर्फ ज्यादा पानी पीना शुरू कर दीजिए. जितनी देर घर पर रहें. उतनी देर ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं. इससे आपको ज्यादा से ज्यादा पेशाब आएगी. पेशाब करने के बाद आप जब हाथ धोने जाएं तो उसके साथ ही सिर्फ दो पुशअप दीवार के सहारे कर लें. इस तरह से अगर आप ज्यादा पानी पीने से 7-8 बार भी पेशाब जाते हैं तो आप 14 से 16 पुशअप दिन में कर रहे होंगे. ऐसा नहीं कह रहा कि मैं आपको यही करना है लेकिन यह मेरा आजमाया एक तरीका है, जिसे आधार बनाकर आप भी ऐसा ही कुछ प्लान कर सकते हैं. मेरा सिर्फ इतना ही कहना है कि अपनी पसंदीदा चीजों को या कह लें कि जिन चीजों को आप आदत की तरह करते हैं, उनसे आप किसी मुश्किल आदत को जोड़ दें. इससे मुश्किलें आसान हो जाएंगीं.

21 दिन तक किसी नई आदत को दोहराते रहने में काम आएगा धैर्य

अब आती है बात अंतिम लेकिन सबसे जरूरी हथियार- पेशेंस यानी धैर्य की. यह पेशेंस ही आपकी आदत को 21 दिनों का इन्क्यूबेशन पीरियड पार कराएगा. (मैं पहले ब्लॉग में अपने 21 दिन के पीरियड के विश्वास के बारे में बता चुका हूं, उसे यहां पढ़ें) आपको लगे कि मैं क्यों ही कर रहा हूं. इससे मुझे परेशानी हो रही है फिर भी उस काम को तीन हफ्ते तक कीजिए. इन 21 दिनों में या तो आपको उस काम के फायदे दिखने लगेंगे या उसकी व्यर्थता समझ आ जाएगी. ऐसे में अगर आपको कोई काम व्यर्थ लगे तो उसे छोड़ दीजिएगा लेकिन 21 दिन बाद ही. या हो सकता है कि आपको यह लगने लगेगा कि काम तो सही है लेकिन मैं इसे गलत तरीके से कर रहा था, इसे इस तरह से करना चाहिए. जैसे 21 दिन किसी भाषा की ग्रामर सीखने के बाद आपको यह भी लग सकता है कि मुझे तो सीधे इसके गाने सीखकर, उसके अर्थ याद करने से तेजी से भाषा आ रही है. अगर आपके ऐसा लगे तो आप अपना तरीका बदल सकते हैं लेकिन हर तरीके को 21 दिन जरूर कीजिएगा.

इस 10 मिनट के वीडियो के जरिए कर रहा शुरुआती एक्सरसाइज

यहीं आपको अपने अंतिम हथियार पेशेंस का सहारा लेना पड़ेगा. आगे की चर्चा के दौरान कभी हम पेशेंस पर बहुत विस्तार से बात भी करेंगे. तब तक आप ऊपर बताए हथियारों को और धारदार बनाने पर काम करें. तब तक मैं कल से अब तक आपको पर्सनल लेवल पर अपनी जिंदगी में आए बदलावों के बारे में बता देता हूं.-

कल जैसा कि मैंने रेजोल्यूशन लिया था कि नाखून नहीं खाऊंगा और एक्सरसाइज यानि व्यायाम करूंगा तो बता दूं कि दोनों ही काम मैंने पहले दिन सफलतापूर्वक किए हैं. कई बार ऊंगलियां मुंह तक पहुंची लेकिन मैंने खुद को रोक लिया. आशा है जल्द ही उंगलियां मुंह तक जाना भी बंद हो जाएंगी. और अपनी वायाबिलिटी को देखते हुए कोरोना के प्रसार के दौर में मैंने  घर पर ही 10 मिनट की एक्सरसाइज नहाने के बाद ली. हालांकि कल से मेरा इसे नहाने से पहले करने का प्लान है. ये थी वह 10 मिनट की एक्सरसाइज-

10 MINUTE MORNING WORKOUT (NO EQUIPMENT)

अगर आप पढ़ रहें तो मुझसे सवाल पूछने और नई बातें सुझाने से न चूकें

किसी आदत को डालने का प्लान कर रहे हों तो मुझे बताएं, मेरी कोशिश रहेगी कि आपकी कुछ मदद कर सकूं. पढ़ाई करने वाले बच्चों या अपने ऐसे दोस्तों जो बहुत भटकते हों, इस ब्लॉग के बारे में बताएं. मैं रोज़ आदतें डालने के तरीके लिख रहा हूं और मेरी कोशिश है कि कोरोना से हमारी लड़ाई के दौरान ये तरीके न सिर्फ हमें इस लड़ाई से सफलतापूर्वक उबारेंगे बल्कि इस दौर को पार करते-करते हम कुछ अच्छी आदतें सीख चुके होंगे और अपनी जिंदगी में बेहतर महसूस कर रहे होंगे. कल मैं आपको विस्तार से बताऊंगा कि मैं किसी आदत को डालने के लिए किसी काम को 21 दिन लगातार करने पर इतना जोर क्यों देता हूं. कल मैं आपको यह भी बताऊंगा कि मेरे रिजोल्यूशन का क्या हुआ. फिलहाल जारी...

(नोट: आप मेरे लगातार नाखून न चबाने और एक्सरसाइज करने के दिनों को ब्लॉग के होमपेज पर (सिर्फ डेस्कटॉप और टैब वर्जन में ) दाहिनी ओर सबसे ऊपर देख सकते हैं.)


अच्छी आदतों को लेकर पिछले ब्लॉग आप यहां पढ़, पढ़ा सकते हैं-


अच्छी आदत कैसे डाली जाए?

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