Friday, July 3, 2020

सुपर डीलक्स: बड़ी सफाई से 'गागर में सागर' भरने वाली फिल्म

त्यागराजन कुमारराजा की फिल्म सुपर डीलक्स (Super Deluxe) का एक पोस्टर

एक ही फिल्म में दर्शन, पॉर्न, सेक्सुएलिटी, सेक्स, मैरिज इंस्टीट्यूशन, पुलिस ब्रुटैलिटी, किशोरावस्था की भावनाएं, कई दिमागी स्थितियों की जटिलताओं और एक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स सभी कुछ समेट लेना हो सकता है नामुमकिन हो या लगे कि ऐसा किया गया तो फिल्म की जगह एक त्रासद मजाक बनकर रह जायेगा लेकिन त्यागराजन कुमारराजा (Thiagarajan Kumararaja) की फिल्म सुपर डीलक्स (Super Deluxe) आपके इस भ्रम को तोड़ देगी. खासकर फिल्म तब और ज्यादा बड़ी हो जाती है, जब वह इन सारे मुद्दों से एक हल्के-फुल्के मूड में लेकिन बेहद संजीदगी से निपटती है.

हाल में पात्रों के इंडीविजुअली डेवलप होने और एक-दूसरे को इंटरसेक्ट करते हुए स्टोरी को आगे बढ़ाने के पैटर्न को आपने बहुत सी फिल्मों में देखा होगा. यह नए तरह की स्क्रिप्ट राइटिंग सॉफ्टवेयर्स के दौर में एक जरूरत बन चुका है. लेकिन ऐसा विरले दिखता है कि कहानी की शुरुआत या मध्य में किरदारों का ये इंटरसेक्शन न होकर कहानी को खत्म करने के लिए चक्रीय क्रम में किरदार एक दूसरे को इंटरसेक्ट करें और इसके साथ ही न सिर्फ फिल्म कंन्क्लूड हो जाये बल्कि उससे एक वृहत्तर अर्थ भी निकलकर सामने आए. जैसे धर्मवीर भारती के सूरज का सातवां घोड़ा उपन्यास में होता है.

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