मेरा ये बोसा अपने माथे पर रख लो!
और, खुद से मुझे बिझड़ने दो
हां, बस इतना खुलकर कहने दो
तुम सही थी, जब कहती हर पल छिन
की ख्वाब हैं मेरे सारे दिन
फिर भी अगर आस सो गई
किसी रात, किसी दिन खो गई
समझते हुए या बिना समझे हमदम
क्या हमने खोया है कुछ कम?
जो कुछ भी हम देखते, समझते हैं
बस इक ख्वाब के भीतर इक ख्वाब संजोते हैं
तेज शोर के बीच मैं हूं खड़ा
समंदर के किनारे दुखों से भरा
उठा लेता हूं हथेली में उसी क्षण
सुनहरी रेत के महीन-महीन कण---
कितने कम हैं? फिर भी फिसल जाते हैं
उंगलियों के बीच से नीचे बिखर जाते हैं
उस दौरान रोता हूं, हां, सिर्फ और सिर्फ रोता हूं!
क्या मैं उन्हें नहीं समझा सकता, ऐ परवर!
ये सब बातें, जोर से गले लग कर?
क्या मैं नहीं बचा सकता, ऐ परवर!
निर्दयी लहरों से अपना हमसफर?
क्या वाकई हम जो देखते हैं, समझते हैं
बस इक ख्वाब के भीतर इक ख्वाब संजोते हैं?
मूल कविता-
Take this kiss upon the brow!
And, in parting from you now,
Thus much let me avow--
You are not wrong, who deem
That my days have been a dream;
Yet if hope has flown away
In a night, or in a day,
In a vision, or in none,
Is it therefore the less gone?
All that we see or seem
Is but a dream within a dream.
I stand amid the roar
Of a surf-tormented shore,
And I hold within my hand
Grains of the golden sand--
How few! yet how they creep
Through my fingers to the deep,
While I weep--while I weep!
O God! can I not grasp
Them with a tighter clasp?
O God! can I not save
One from the pitiless wave?
Is all that we see or seem
But a dream within a dream?
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एडगर एलन पो पैदा अमेरिका के बोस्टन में हुए थे। बचपन में ही वो अनाथ हो गए थे। एक अमेरिकी तंबाकू व्यापारी ने उन्हें पाला और पढ़ने के लिए ब्रिटेन भेज दिया। एलन पो अपनी शॉर्ट स्टोरी THE TELL- TALE HEART से मुझे बहुत पसंद आना शुरू हुए। मैंने उनकी कुछ कविताएं पढ़ीं तो ये कविता मुझे हमेशा ही सम्मोहित करती रही। इसलिए मैं इसका अनुवाद पेश कर रहा हूं। यूं तो एडगर कुल 40 वर्ष ही जिए 19वीं सदी के पूर्वाध में, पर उनका अंग्रेजी के साहित्य पर गहरा प्रभाव है। उनके बाद के कई लेखकों ने उनकी अद्भुत शैली को अपनाया। उनके नाम का एक रहस्यमयी किरदार हॉलीवुड फिल्म 'THE RAVEN' में भी है।
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