Saturday, May 2, 2020

Benedict Anderson की किताब Imagined Communities का संक्षिप्त अनुवाद: राष्ट्रवाद ने यूरोप के बहुराष्ट्रीय साम्राज्यों को कमजोर किया

राष्ट्रवादी समाजों में लोग अपने जैसा बोलने और देखने वालों के हाथ में शासन सौंपना चाहते हैं (फोटो क्रेडिट: मीडियम)

राष्ट्रवाद के उदय ने यूरोप के बहुराष्ट्रीय साम्राज्यों को कमजोर कर दिया क्योंकि इसके सिद्धांत, राजशाही के साथ फिट नहीं बैठते थे


एक चेक राष्ट्रवादी की कल्पना कीजिए- हम उसे 19वीं शताब्दी के प्राग का एंटोनिन कह लेते हैं. वह जर्मन बोलता है, जो कि राज्य की आधिकारिक भाषा है, लेकिन साधारणत: अपनी मातृभाषा बोलना पसंद करता है. वह चेक उपन्यास और अख़बार पढ़ता है, और उसके पसंदीदा संगीतकार चेक देशभक्त स्मेताना और डावोक हैं. उसके राजनीतिक लक्ष्य क्या होंगे? संभावना है कि अपनी पसंदीदा सूची के साथ वह चेकों का शासन चुने. और इसी कयास के चलते जिन लोगों के पास शासन का अधिकार है, उनके लिए एंटोनिन एक समस्या बन जाता है.

क्यों? खैर, यही इस अंक का प्रमुख विचार है- राष्ट्रवाद के उदय ने यूरोप के बहुराष्ट्रीय साम्राज्यों को कमजोर कर दिया क्योंकि इसके सिद्धांत, राजशाही के साथ फिट नहीं बैठते थे.

19वीं शताब्दी का यूरोप बहुराष्ट्रीय साम्राज्यों से टांकी गई एक रजाई था. उदाहरण के तौर पर वियना में हैब्सबर्ग्स, आल्प्स से कार्पेथियन तक फैला एक विशाल क्षेत्र था, जिसमें हंगरी, जर्मन, क्रोएशिया के, स्लोवाकिया के, इटली के और चेक लोग शामिल थे. 19वीं सदी के यूरोप में सेंट पीटर्सबर्ग में फ्रांसीसी बोलने वाले रोमानोव लोगों ने टार्टर्स, लेट्स, आर्मेनियाई, रूसी और फिन लोगों वाले एक और बड़े साम्राज्य को पर सत्ता जमाई थी.

पिछले अंक में हम जिन दार्शनिक क्रांतिकारियों से मिले, उन्होंने इन साम्राज्यों को एक गंभीर दुविधा वाला बताया. हैब्सबर्ग को ले लेते हैं. 1780 में सम्राट जोसेफ द्वितीय ने लैटिन से जर्मन भाषा को राज्य भाषा बनाने का फैसला किया. यह एक व्यावहारिक कदम था. लैटिन के विपरीत, जर्मन एक आधुनिक भाषा थी, जिसे पहले से ही बड़ी ऑस्ट्रो-हंगेरियन जनता बोलती आई थी. साथ ही इसका विशाल साहित्य भी मौजूद था. जिसने इसे साम्राज्य को एकजुट करने वाला वाला एक ठोस तत्व बनाया.

लेकिन एंटोनिन जैसे राष्ट्रवादियों ने इसे इस तरह से नहीं देखा. जितना ज्यादा हब्सबर्ग ने जर्मन को बढ़ावा दिया, उतना ही ज्यादा क्रोएशियन, हंगेरियन, चेक और अन्य भाषाएं बोलने वालों ने महसूस किया कि राज्य खुद को सिर्फ एक अल्पसंख्यक समूह के हितों से जोड़ रहा था और उनके हितों की अनदेखी कर रहा था. इस प्रक्रिया को उल्टा करना भी कोई विकल्प नहीं था. यदि हब्सबर्ग, कह लें कि हंगेरियन को बढ़ावा देता, तो इससे नाराज राष्ट्रीयताओं का एक अन्य समूह पैदा हो जाता, जिसमें अब जर्मन बोलने वाले भी शामिल होते.

कुछ साम्राज्यों ने सबसे बड़े जातीय समूह के साथ राष्ट्रवाद को जोड़कर, ऊपर से नीचे चलने वाली व्यवस्था या आधिकारिक लोगों को खुद से मिलाकर इस बंधन को तोड़ने की कोशिश की. वह भी अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा तब किया गया, जब लोकप्रिय, या नीचे से ऊपर की ओर चलने वाली व्यवस्था, राष्ट्रवाद के चैंपियन थे. यही काम रूसी साम्राज्य ने 19वीं सदी के अंत में किया. इसने रूसीकरण की शुरुआत की, यह एक ऐसी प्रक्रिया थी, जिसके तहत अल्पसंख्यकों की भाषाओं पर प्रतिबंद लगा दिया गया और रूसी को राज्य, संस्कृति और सार्वजनिक जीवन की भाषा बना दिया गया. यह एक अंधा कुआं था, और इसमें आगे बड़े पैमाने पर अशांति और खुले विद्रोह की घटनाएं हुईं.

यह आश्चर्य की बात नहीं है कि यह समस्या साम्राज्यों के लिए चुभने वाला कांटा बन गईं. राष्ट्रवाद के केंद्र में यह विचार होता है कि राष्ट्र पर उन लोगों का शासन होना चाहिए, जो उनकी तरह ही देखते और बात करते हों, और यह बहुराष्ट्रीय साम्राज्यों के तर्क के बिल्कुल उल्टा एक तर्क है.

किताब के बारे में-

काल्पनिक समुदाय की अवधारणा को बेनेडिक्ट एंडरसन ने 1983 मे आई अपनी किताब 'काल्पनिक समुदाय' (Imagined Communities) में राष्ट्रवाद का विश्लेषण करने के लिए विकसित किया था. एंडरसन ने राष्ट्र को सामाजिक रूप से बने एक समुदाय के तौर पर दिखाया है, जिसकी कल्पना लोग उस समुदाय का हिस्सा होकर करते हैं. एंडरसन कहते हैं गांव से बड़ी कोई भी संरचना अपने आप में एक काल्पनिक समुदाय ही है क्योंकि ज्यादातर लोग, उस बड़े समुदाय में रहने वाले ज्यादातर लोगों को नहीं जानते फिर भी उनमें एकजुटता और समभाव होता है.

अनुवाद के बारे में- 

बेनेडिक्ट एंडरसन के विचारों में मेरी रुचि ग्रेजुएशन के दिनों से थी. बाद के दिनों में इस किताब को और उनके अन्य विचारों को पढ़ते हुए यह और गहरी हुई. इस किताब को अनुवाद करने के पीछे मकसद यह है कि हिंदी माध्यम के समाज विज्ञान के छात्र और अन्य रुचि रखने वाले इसके जरिए एंडरसन के कुछ प्रमुख विचारों को जानें और इससे लाभ ले सकें. इसलिए आप उनके साथ इसे शेयर कर सकते हैं, जिन्हें इसकी जरूरत है.

(नोट: किताब का एक अंक रोज़ अनुवाद कर रहा हूं. आप मेरे लगातार लिखने वाले दिनों को ब्लॉग के होमपेज पर [सिर्फ डेस्कटॉप और टैब वर्जन में ] दाहिनी ओर सबसे ऊपर देख सकते हैं.)

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